राजस्थान की जलवायु NCRT के अनुसार |Rajasthan ke jalvayu paradesh.
राजस्थान अनेक भौतिक प्रदेश वाला राज्य है अतः राजस्थान(rajasthan) की जलवायु(jalvayu) मे अनेक विशेषताएं(visheshta) एवं विभिन्नताएं देखने को मिलती है । राज्य के पश्चिमी भाग मे रेगिस्तान है जहाँ पर शुष्क गर्म जलवायु पायी जाती है जबकि राजस्थान के दक्षिण-पूर्व मे मैदानी एवं पठार है अतः यहाँ पर आर्द्र एवं अति आर्द्र प्रकार की जलवायु पायी जाती है ।
राज्य के पश्चिमी एवं पूर्वी भाग मे वर्षा मे भी विशेष अन्तर देखने को मिलता है अरावली पर्वत के कारण राजस्थान के पूर्वी हिस्से मे वर्षा अत्यधिक होती है जबकि पर्वतमाला का पश्चिमी भाग शुष्क रह जाता है । तो आज इस लेख मे राजस्थान की जलवायु का NCRT के अनुसार अध्ययन करंगे।
जलवायु कीसे कहते है (javvayu kise kahate hai)
कीसी भी स्थाना मे लम्बे समय तक की औसत वायुमंडलीय दशाएँ जलवायु कहलती है । जलवायु ग्रीक भाषा के शब्द "क्लाइमा" से बना है । jalvayu को अंग्रेजी मे climate कहते है ।
राजस्थान की जलवायु (rajasthan ki jalvayu )
राजस्थान एक विषम जलवायु वाला प्रदेश है । राज्य के उत्तर पश्चिमी भाग मे रेतीला रेगिस्तान है जिससे वहाँ पर गर्मियों मे तापमान उच्च रहता है तथा सर्दियों मे अत्यधिक ठण्ड पङती है । भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए राज्य के बांसवाडा और डुंगरपुर जिलो के दक्षिण भाग से कर्क रेखा गुजरती है अतः इनका दक्षिणी हिस्स उष्ण कटिबंध मे आता है जबकी शेष हिस्सा शीतोष्ण कटिबंध मे आता है ।
राजस्थान की जलवायु का वर्गीकरण (rajasthan ki jalvayu ka vargikararan)
भारतीय मौसम विभाग ने राजस्थान की जलवायु को पांच भागो मे बाँटा है ।
1. शुष्क जलवायु प्रदेश
इस प्रदेश मे औसत वार्षिक वर्षा लगभग 10 से 25 सेन्टीमीटर के मध्य होती है । ग्रीष्म ऋतु मे यहा पर तापमान 35 से 45 डिग्री के आस-पास रहता है । कभी-कभी जन-जूलाई मे पारा 50°C पर भी चला जाता है । तथा सर्दी का तापमान 10 से 16°C रहता है । शुष्क जलवायु प्रदेश मे जैसलमेर, जोधपुर, श्रीगंगानगर और हनुमागढ जिले आते है ।
2. अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश
यह पर औसतन वार्षिकी वर्षा 40 से 25 सेन्टीमीटर तथा गर्मी एवं सर्दी का तापमना क्रमशः 35 से 40°C एवं 10 से 16° C के मध्य तक रहता है । यह पर स्टेपी प्रकार की वनस्पति पायी जाती है एवं इस जलवायु प्रदेश मे श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चुरू, झुन्झुनू, सीकर, पाली, नागौर, जालौर, जोधपुर, अजमेर एवं जयपुर आते है ।
3. उपआर्द जलवायु प्रदेश
उपआर्द जलवायु वाले क्षेत्र मे औसत वार्षिक वर्षा 40 से 60 cm होती है । यहाँ तापमान सर्दियों मे 12 से 18°c के मध्य तथा गर्मियों मे तापमान 28 से34 °C के मध्य रहता है। इसमे जयपुर, अलवर , अजमेर, टोंक भीलवाड़ा, पाली, सिरोही एवं जालौर का क्षेत्र आता है ।
4. आर्द्र जलवायु प्रदेश
यहा पर वर्षा लगभग 60 से 80 सेमी. के मध्य होती है । गर्मी ऋतु मे मे तापमान 32 से 35°C व वर्षा काल मे तापमान 32 से 35 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहता है । उप आर्द्र जलवायु प्रदेश मे धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, बूंदे, राजसमन्द, चित्तौड़गढ़, भरतपुर, प्रतापगढ़, दौसा, कोटा एवं उदयपुर का उत्तरी हिस्सा आता है ।
अति आर्द्र जलवायु
इस क्षेत्र मे औसतन वार्षिक वर्षा 80 से 120 सेमी या इससे अधिक होती है। यहा पर गर्मी मे तापमान 30 से 36°C व सर्दी मे 14 से 18°C के मध्य रहता है । इसमे कोटा, बारा, झालावाड़, उदयपुर, डूंगरपुर बासवाङा आदि जिलो का क्षेत्र आता है ।
कोपेन के अनुसार राजस्थान की जलवायु का वर्गीकरण( rajasthan ki jalvayu ka copen ke anusar vargikaran)
कोपेन ने राजस्थान की जलवायु को चार भागो मे बाँटा है। इन्होंने वर्गीकरण को 1900 ई. मे तैयार व 1918 मे प्रस्तुत किया। इनके वर्गीकरण का आधार तापमान, वर्षा एवं वनस्पति है ।
कोपेन ने rajasthan की जलवायु को निम्न चार भागो मे विभक्त कीया है:-
1. शुष्क गर्म जलवायु (Bwhw)
इस प्रदेश मे उष्ण कटिबंधीय जलवायु पायी जाती है तथा औसत वार्षि वर्षा 10 से लेकर 20सेमी तक होती है । यहा पर जीरोफाइट्स प्रकार की वनस्पति पायी जाती है । शुष्क गर्म जलवायु का विस्तार श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर एवं जोधपुर के पश्चिमी हिस्से मे है ।
2. अर्द्ध शुष्क गर्म जलवायु (Bshw)
यहा पर अर्द्ध शुष्क प्रकार की जलवायु पायी जाती है । वार्षिक वर्षा लगभग 20 से 40 सेमी के मध्य तक एवं स्टेपी प्रकार की वनस्पति पायी जाती है। इस प्रकार की जलवायु सीकर, चूरू,झुन्झुनू , नागौर, पाली, बाङमेर, जालौर एवं जोधपुर का पूर्वी भाग आता है ।
3. शीतोष्ण गर्म जलवायु (Cwg)
इसमे आर्द्र एवं उपआर्द्र प्रकार की जलवायु एवं औसत वर्षा 40 से 80 सेमी के मध्य होती है । यहा पर मनसूनी प्रकारी की वनस्पति पायी जाती है ।
विस्तार-अलवर, भरतपुर, करौली, स. माधोपुर, बूंदी, टोंक, दौसा, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौङगढ, प्रतापगढ़ , सिरोही ,राजसमन्द, और धौलपुर मे है ।
4. अति आर्द्र गर्म जलवायु (Aw)
यह पर अति आर्द्र प्रकार की जलवायु एवं औसत वर्षा 80-120 से अधिक होती है । यह पर सावन प्रकार की वनस्पति पायी जाती है। इस प्रकार की जलवायु कोटा, बारा, झालावाड़, उदयपुर, डुंगरपुर, बासवाङा और माउण्ट आबू मे पायी जाती है।
थार्नवेट का वर्गीकरण
थार्नवेट ने राजस्थान की जलवायु को निम्नलिखित चार भागों मे बांटा है :-
1. EA'd
इसमे बीकनेर, बाङमेर जैसलमेर, जोधपुर का भाग आते है। तथा यह पर औसतन वर्षा 10 से 15 सेमी के मध्य होती है । En'd मे शुष्क जलवायु होती है ।
2. DB'w
DB'w मे मिश्रित प्रकार की जलवायु पायी जाती है तथा 15 से 20 सेमी. औसतन बारिश होती है । इस प्रदेश श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, चुरू एवं बीकानेर का क्षेत्र आता है ।
3. DA'w
50 से 80 सेमी औसत वर्षा वाले इस प्रदेश मे आर्द्र जलवायु पायी जाती है । जयपुर, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, स. माधोपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, बूंदी, प्रतापगढ़, जालौर, नागौर, पाली, राजसमन्द इत्यादि जिलों का क्षेत्र इस जलवायु प्रदेश मे आता है ।
4. CAW's
यहाँ पर औसत 80 से 100 cm बारिश होती है तथा शुष्क आर्द्र एवं उप आर्द्र पर का जलवायु पायी जाती है। इस प्रकार की जलवायु का विस्तार कोटा, बारां, झालावाड़, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाडा और माउंट आबू मे है ।
ट्रिवार्न का जलवायु वर्गीकरण
ट्रिवार्न के जलवायु के वर्गीकरण का आधार तापमान है तथा इन्होंने कोपे के वर्गीकरण का संशोधन किया है ।
कोपेन ट्रिवार्थ
Aw Aw
BWhw BWh
Bshw Caw
Cwg Caw
जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक (rajasthan ki jalvayu ko pràbhavit karne wale karak)
राजस्थान की जलवायु को निम्नलिखित कारण प्रभावित करते है ।
1. राजस्थान की अक्षांशीय स्थित
2. समुद्र से दुरी
3. समुद्र तल से ऊंचाई
4. अरावली पर्वत माला की स्थिति
5. पवने
6. मिट्टी
7. वनस्पति
राजस्थान की जलवायु की विशेषता (rajasthan ki jalvayu ki vicheshta)
1. राजस्थान का डूंगरपुर व बासवङा जिलों का कर्क रेखा से नीचे वाला हिस्सा उपोष्णकटिबंधीय जलवायु मे आता है ।
2.राज्य का सर्वाधिक दैनिक तापान्तर वाला जिला जैसलमेर तथा स्थान/स्थान चुरू है । यहाँ का दिन का तापमान अधिक होता है जबकि रात मे ठण्ड पङती है ।
3. rajasthan का कम तापान्तर वाला स्थान माउंट आबू है ।
4. यहाँ पर सर्वाधिक वाष्षोत्सर्जन की दर जून एवं कम दिसम्बर महीने मे होती है ।
5 . राजस्थान का सर्वाधिक आर्द्रता वाला महिना अगस्त व जिला झालावाड़ तथा स्थान माउंट आबू(सिरोही) है ।
6. राज्य मे कम आर्द्रता वाला महिना अप्रेल, जिला जैसलमेर तथा स्थान फलौदी है ।
ऋतुएँ
जलवायु के आधार पर मुख्यतः तीन ऋतुएँ होती है ।
1. ग्रीष्म ऋतु
ग्रीष्म ऋतु की शुरूआत माध्य मार्च से होकर अतः मध्य जून मे होता है । इस ऋतु मे पश्चिमी राजस्थान मे न्यून दाब का केन्द्र बनता है । इसलिए इस ऋतु को भारत मे मानसुन की जनक कहते है । इस दौरान राजस्थान मे लू,धूल भरी आंधिया एवं भभूल्या चलते है ।
लू
राजस्थान मे गर्मी ऋतु मे चलने वाली शुष्क एव गर्म स्थीन पवन को लू कहा जाता है ।
धूल भरी आंधिया
राज्य मे सर्वाधिक आंधिया श्रीगंगानगर जिले मे 127 दिन चलती है । इनके कारण तापमान मे गिरावट आती है।
भभूल्या
निम्न वायु दाब क्षेत्र वाले छोटे-छोटे चक्रवात को भभूल्या कहते है ।
वर्षा ऋतु
मध्य जून से शुरू होकर लगभग सितम्बर तक वर्षा ऋतु रहती है। राज्य मे सर्वप्रथम वर्षा या मानसुन का प्रवेश बासवाङा से होता है । यह मानसुन अरब सागर की शाखा से आता है । राजस्थान मे वर्षा का प्रवेश लगभग 16 जून को होता है ।
द. पश्चिमी मानसुन
राजस्थान मे मानसुन दो शाखाओं मे प्रवेश करता है ।
1. अरब सागर की शाखा का मानसून
अरब सागर की शाखा से आने वाला मानसून राज्य मे लगभग 16 जून को बासवाङा से प्रवेश करता है । यह राजस्थान मे सर्वप्रथम प्रवेश करने वाली शाखा है ।
अरब सागर की शाखा राज्य मे सर्वाधिक आर्द्रता लाने वाली शाखा है । इस शाखा से राज्य मे 20 से 30% वर्षा होती है । अरब सागर से आने वाली शाखा से राजस्थान मे कम वर्षा होने का मुख्य कारण नमी यक्त हवाऐ अरावली के समाप्त चली जाती है ।
इस शाखा से सर्वाधिक बारिश/वर्षा माउंट आबू सिरोही मे होती है ।
2. बंगाल की खाड़ी की शाखा का मानसून
बंगाल की खाङी की शाखा राजस्थान मे झालावाङ से प्रवेश करती है । इस समय हवाओ की दिशा उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की और होती है । इस शाखा के सापेक्ष पश्चिमी राजस्थान मे वृष्टि छाया क्षेत्र बनता सै राज्य मे कुल वर्षा की लगभग 70 से 80% वर्षा इस शाखा से होती है ।
राजस्थान मे मानसुन की अवधि 60 दिन है तथा राज्य की कुल वर्षा की लगभग 90% वर्षा मानसूनी वर्षा से होती है ।
राजस्थान मे औसत वर्षा 29 दिन होती है ।
राजस्थान मे सर्वाधिक 45 दिन वर्षा झालवाङ जिले मे तथा सबसे कम वर्षा जैसलमेर मे होती है ।
बंगाल की खाङी से आने वाली शाखा राज्य के पूर्वी भाग मे सर्वाधिक बारिष करती है जबकि अरावली के पश्चिमी भाग वृष्टि छाया क्षेत्र बन जाने के कारण सुखा रह जता है ।
सर्दी ऋतु
इस ऋतु को हम अध्ययन की सुविधा के लिए दो भागो मे बाँट सकते है ।
1. शरद ऋतु
इस ऋतु की अवधि अक्टूबर से लेकर नवम्बर तक होती है । इसमे तीन मे तापमान अधिक होता है तथा रात मे ठण्ड पङती है । इसे सर्वाधिक तापान्तर वाली ऋतु माना जाता है ।
2. शीत ऋतु
शीत ऋतु की अवधि मध्य नवम्बर से लेकर मध्य मार्च (दीपावली से होली) तक होती है। इस ऋतु मे हवाओ की दिशा उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम की ओर होती है । इन्हीं शुष्क एवं शीत हवाओं के साथ साइबेरिया के पक्षी भारत आते है ।
शीत ऋतू मे राजस्थान मे होने वाली वर्षा को मावठ कहते है । इस मुख्य रूप से गेहूं की फसल को लाभ पहुँचता है ।
मौसम किसी स्थान की 24 घण्टे या एक दिन की वायुमंडलीय दशाओ को मौसम कहा जाता है । मौसम शब्द अरबी भाषा के मौसिम से बना है, जिसका अर्थ है ऋतु । परिवर्तन के अनुसार हवा की दिशा मे परिवर्तन मौसम कहलाता है।
जलवायु से सम्बंधित शब्द एवं अर्थ
मानसुन
हवा की दिशा के साथ तापमान मे परिवर्तन होना व वर्षा का होना मानसून कहलता है ।
पवने धरातल के समान्तर चलने वाली हवा को पवन कहते हैं।
वायुदाब
कीसी भी स्थान पर वायुमंडलीय दाब को वायु दाब कहते है । इसका मात्रक बैरोमीटर
हवाऐ हमेशा उच्च वायु दाब से निम्न वायुदाब की और चलती है । वायु दाब, ताप के व्युतक्रमानुपाती होता है अर्थात् ताप बढने के बाद वायु दाब घटता है । इसी कारण से गर्मी ऋतू मे पश्चिमी राजस्थान के बाङमेर जैसलमेर मे निम्न वायु दाब बनता है ।
राजस्थान की जलवायु के प्रश्न (rajasthan ki jalvayu questions)
Q 1. कोपेन के अनुसार राजस्थान का सबसे बङा जलवायु प्रदेश कौनसा है ?Q 2. राजस्थान की जलवायु को कितने जलवायु प्रदेशों मे बाँट गया है ?(rajasthan ki jalvayu ko kitne bhagon mein banta gaya hai)
Q 3. पश्चिमी राजस्थान मे वर्षा किस मानसुन से होती है ?
Q 4. राजस्थान की जलवायु कैसी है (rajasthan ki jalvayu kaisi hai)
Q 5. राजस्थान मे सर्वाधिक दैनिक तापान्तर वाला स्थान कौनसा है ?
Q 6. राजस्थान मे सबसे कम आंधिया किस जिले मे आती है ?
Q7. पश्चिमी राजस्थान मे सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान कौनसा है ।